मेरा नाम शारदा हैं,मैं राजस्थान जैसलमेर जिले के सांगड गांव की हूँ । मैंने हिंदी विषय से स्नातकोत्तर किया हैं साथ ही बीएड भी हूँ । मेरा जीवन दर्द और अपमानजनक जिंदगी जीते हुए ही बीत रहा था जीवन में प्यार का ,सम्मान का कोई नामोनिशान नहीं महसूस हुआ कभी।उसी सब भावों और विचारों के भँवर में उलझी हुई रहने के बीच मेरे ह्रदय में जो एक पीड़ा, दर्द कल्पनाओं की दुनियां बनती जाने लगी और बहुत समय तक तो कुछ लिखने का सोचा ही नहीं मगर जब लिखने लगी तो लगा कि बहुत कुछ भरा हैं दिल में वो ऐसे बाहर आएगा तभी कुछ सुकून मिलेगा दिल को ,सुकून का तो नहीं कह सकती मगर ये जरूर हैं कि जितनी पीड़ा महसूस होती हैं सायद शब्द उतने ही ज्यादा बाहर आने को उमड़ते हैं मन से बाहर कलम से कागज की ओर। मैं जो भी लिखती हूँ वो मेरे खुद के भाव हैं कहीं बाहर से मुझे लेने की जरूरत नहीं पड़ती ।
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