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Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 21 x 12 x 2 cm |
₹205.00
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ये प्यारी कविता उस “परी ” के लिए जो हमेशा मेरे पास रहेगी…और उन् सभी के लिए भी जो एक दूसरे से जुड़े हैं बंधे है और उन्हें कभी खोना नहीं चाहते …
थोड़ा पागल हूँ , नासमझ भी , नादान भी हूँ पर नादानी नहीं करता , बदमाशियों ने तो आज इतना बड़ा किया है “मुश्किलें जो है ना ऑटो और रिक्शा की तरह आती जाती है …”पर अपने साथ कुछ यादें छोड़ जाती है . बस ! अब अपने बारे में क्या बोलू , जैसा भी हूँ पन्नो में हूँ , शब्दें बिखरी पड़ी है उसे ही बटोरने में लगा हूँ …
ISBN: "978-93-88427-72-2"
Publisher: BlueRose Publishers
Publish Date: 2018
Page Count: 78
Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 21 x 12 x 2 cm |
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