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    K. Beena Sanghri

ISBN: "978-93-88427-61-6"
Category:

Nirvachak

by: K. Beena Sanghri

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Nirvachak 2018
About This Book

    इस किताब में जितने भी नाम लिये गये हैं प्रमुखतया उत्तराध्ययन सूत्र से लिये गये हैं जिसमें संयम जीवन के बारे में व्याख्या की गई है। संयम अर्थात मन में लक्ष्य रखते हुए विरीत परिस्थितियों (अर्थात् दुख) में भी मन में सम्भाव रखते हुए या सहन शक्ति रखते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना। जहाँ तक संभव हो दुख से दुखी न होना अर्थात् जो भी मिले उससे प्राणी मात्र को सुख पहुँचाने की कोशिश करना। इच्छाओं की पूर्ति न होने वाली परिस्थितियों में अगर आपने जीना सीख लिया तो दुख में जीना सीख लिया और जब दुख में जीना सीख लिया तो दुख रहा ही कहाँ? दुख खत्म और सुख शुरु।
    (इसके आगे की जानकारी अगली किताब में दी जायेगी, अगर लिख पाई तो………)
    अगर जीवन में कभी भी ऐसा हो कि तुम्हें मंजिल का पता मालूम ना हो तो तुम्हारे दिल और दिमाग को जो भी औज़ार मिल जाए, सोचना मत, उठाना और लग जाना काम पर……. मंजिल खुद इंतजार करेगी।

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ISBN: "978-93-88427-61-6"
Publisher: BlueRose Publishers
Publish Date: 2018
Page Count: 75

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Additional information

Weight 0.250 kg
Dimensions 21 x 12 x 2 cm

“Nirvachak”

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