किसी लेखक का परिचय उसकी लेखनी से बेहतर और कोई नहीं करा सकता और अपने परिचय का भी मैंने यही मापदंड रखा है। इस विस्तृत एवं अथाह साहित्य जगत में जहाँ लोग अपनी पहचान बनाने की जुगत में दिन रात लगे रहते हैं, वहां मेरे जैसे नवोदित लेखक को अपना क्या परिचय देना चाहिए! बेहतर है मेरी कलम ही ये काम करे।
तो आप मुझे इस पुस्तक के माध्यम से पढ़े, सुने और जाने यही मेरी अभिलाषा है।
मिट्टी भी लिखती है, पढ़ सको तो पढ़ो
अपनी मिट्टी का देखो, लिखा हुआ हूँ मैं।
धन्यवाद
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