आत्म-दैहिक : परिचय-संदेश हर जीव की तरह मैं भी एक जीवात्मा होने के कारण परमपिता परमात्मा का ही अंश हूँ। अतः मेरा दैहिक जन्म मूल रूप से कस्बा-मोंठ, जिला - झाँसी, उत्तर-प्रदेश, भारत में हुआ | मैं इस वक्त सरकार के एक प्रतिष्ठान में जिला- सिंगरौली, मध्य-प्रदेश की कर्मभूमि पर कार्य करके अपना जीविकोपार्जन कर रहा हूँ। जैसा कि परमात्मा के विषय में संतों-सूफियों-पीर-पैगम्बर-सदगुरू- मुनि- महात्मा- महापुरूषों आदि के हीरा-पन्ना- रत्न रूपी संतवचनों की अमूल्य धरोहर को “परमात्मा की ओर” पुस्तक में सृजन करने का प्रभु द्वारा इस संसार में 'शैलेश” नाम की इस देह का चयन करके जनकल्याण के लिये जो यह अद्भुत कार्य करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है, काश यदि इस “परमात्मा की ओर” पुस्तक को पढ़ने - देखने-सुनने वाले सैकडों-हजारों-लाखों-करोड़ों दुनियावी लोगों में से अगर एक भी मनुष्य के जीवन में सत्य का उदय होता है तो मेरा इस संसार में आना मेरे लिये शायद सौभाग्यजनक होगा अन्यथा फिर मुझे लगता है कि मेरा बहुमूल्य मानव जीवन व्यर्थ की आपाधापी में भौतिकता के रूप में समय गुजार करके (टाइमपास) निकल गया। मेरा मकसद “परमात्मा की ओर” पुस्तक के माध्यम से किसी प्रकार का कोई व्यवसाय करके अपनी निजी आय बढ़ाने का हरगिज नहीं है। बल्कि अपने वेतन के गुजारे में से बचत आमदनी के कुछ हिस्से को पुस्तक प्रकाशन में खर्च करके पुस्तक बिक्री से प्राप्त रॉयल्टी के पैसों को देश - दुनिया में मनुष्य पर आने वालीं असाध्य बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों पर राहत राशि के रूप में देने के लिये पूर्णत: समर्पित व वचनबद्ध हूँ। -शैलेश
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