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    Suresh Shandilya

ISBN: 978-93-5427-140-3
SKU: 5215 Category: Tags: ,

Punrvas

by: Suresh Shandilya
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Punrvas 2021
Details

ISBN: 978-93-5427-140-3
SKU: 5215
Publisher: BlueRose Publishers
Publish Date: 2021
Page Count: 110

Meet the Author
Blue rose author
He is presently working as the State Bureau Chief in Amar Ujala newspaper at Shimla and has been active in Journalism since 2003 with long-term experience as a crime and political reporter. He has written more than one and a half dozen short stories which have been published in various magazines and journals and broadcast from All India Radio Shimla. He has also edited many books. Besides, he has also worked as a casual announcer in All India Radio Shimla.

Additional information

Weight 0.250 kg
Dimensions 20.32 x 12.7 x 2.5 cm

  1. Nayna Bansal

    Rated 4 out of 5

    पुस्तक: पुनर्वास (शिमला के पहाड़ी अंचल का एक मर्मस्पर्शी आख्यान)
    लेखक: सुरेश शांडिल्य
    उपन्यास
    प्रकाशक: ब्लू रोज पब्लिशर्स
    पृष्ठ: 114
    मूल्य 165
    रेटिंग: 4.4/5

    इस पुस्तक में हमें शिमला का पहाड़ी ग्रामीण जीवन देखने को मिलता है। लेखक हमें यहां के खेत-खलिहान, रहन-सहन लोगों के जीवन के बारे में परिचित कराता है। हम जिस जगह रहते हैं, वह जगह भी हममें रहती है। हम कितने ही बड़े क्यों ना हो जाए और कहीं और क्यों ना रहने लगे पर जहां हमारा बचपन बीता हुआ होता है, वह जगह हमेशा हमारे दिलो-दिमाग और जहन में रहती है और हम वहीं पर फिर से बसने का ख्वाब सजाते हैं। कुछ ऐसा ही इस पुस्तक में भी दर्शाया गया है राम प्रकाश के किरदार के द्वारा।

    ‘यहीं पिता हरनाम और मां सरसो देवी की गोद में खेला, नानी फूली देवी का प्यार मिला। यहीं वह भरतड़ी लोकगाथा गाने का प्रयास करता। इसी मिट्टी से वह भाई-बहन के साथ विस्थापित हुआ, अनाथ हुआ और अब यही इसी के नीचे से यूं गुजर रहा है। इतने बरस हो गएI’

    ‘अपने घर लौटने का सुख क्या होता है, यह उससे बेहतर कौन जान सकता है?’

    ‘अरे, नहीं दादा! मशीन पहुंच चुकी हैI आज नींव बनाने का काम शुरू कर रहा हूं। दादा! मुझसे बेहतर कौन समझ सकता है, जिसने बचपन से ही…और फिर कोरोना वायरस का वह दौर भी देखा जब लॉकडाउन लगा, कर्फ्यू लगा, लोग अपने घर गांव की तरफ भाग रहे थे, अपने गांव की शरण में आते रहे। मैं कहां जाता दादा?”

    ‘मेरे मानस पटल पर बचपन के उस अनाथ आश्रम की नवविवाहित वार्डन दुरमा देवी के शब्द जीवंत होकर फिर कह रहे थे ‘एक दिन तेरी नौकरी लगेगी प्रकाश! तेरी भी शादी होगीI’

    लेखक ने जो हरनाम और सरसो देवी की प्रेम कथा दिखाई है, वह दिल को छू लेने वाली है। मैं हमेशा से सोचती थी, क्या सचमें पति-पत्नी में या प्रेमियों में इतना प्यार होता है कि अगर एक ने देह त्याग दिया तो दूसरा भी त्याग देता है। इस वृत्तांत में मेरी आत्मा झकझोर दी।

    मैं राम प्रकाश के किरदार से बेहद प्रभावित हूं I जिंदगी में इतनी कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी, अनाथ होने के बावजूद, अपने पैरों पर खड़ा हुआ और भाई-बहन में बड़े होने के नाते उसने अपनी जिम्मेदारियां भी पूर्ण कीं और उसने कैसे अपने घर जन्मीं दो बेटियों को खुशी-खुशी स्वीकार किया, जबकि लोग बेटियों को बोझ समझते थे और एक बेटे की चाह अवश्य रखते थे।

    ‘आपका जीवन एक सीख है कि कभी मनोबल नहीं तोड़ना।’

    राम प्रकाश की जिंदगी में आए लोग जिन्होंने उसके अनाथ होने के बावजूद उसकी सभी तरह से मदद की, ऐसे किरदारों ने मेरे दिल को छू लिया और मेरी रूह पर एक गहरी छाप छोड़ दी। मुझे खुशी हुई जानकर कि आज भी ऐसे लोग हैं जो नि:स्वार्थ हैं और जिनमें प्रेम भाव मौजूद है।

    काफी जगहों पर लेखक बहुत दार्शनिक हो जाता है, जैसे इस वाक्य में:
    ‘सहसा फोन की घंटी बजती है। यह उसी का फोन है। इसे उठाने से पहले मैं सोचता हूं कि अनेक बार ऐसा क्यों होता है कि जिसके बारे में हम सोच रहे होते हैं, वह हमें थोड़ी देर बाद कहीं भीड़ में सामने नजर आ जाता है। ऐसा कभी-कभार किसी खास वक्त में होता है। उन क्षणों को हम खुद नहीं पकड़ पाते हैं। यह अनायास ही होता है I यह भी कि जिसके बारे में हम विचार कर रहे होते हैं, उसका अचानक फोन आ जाता है। क्या हम किसी अदृश्य सूत्र से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं? क्या उन दो लोगों के बीच कोई अज्ञात संवाद पहले ही हो चुका होता है? जो उन्हें मालूम ही नहीं होता। यह अनुत्तरित प्रश्न हैI’

    लेखक ने काफी पहाड़ी शब्दों का भी इस्तेमाल किया है।

    मुझे कई जगहों पर कहानी का प्रवाह धीमा लगा, परंतु लेखक ने कहानी के हर एक भाग को बहुत खूबसूरती से लिखा है। जैसे इन पंक्तियों में -‘इसने यहां घटित-अघटित सब कुछ देखा है, यह सबका मौन गवाह है। यह तपस्वी सा तन कर बैठा आंखें मूंदे नजर आता हैI’

    ‘समय बहुत बलवान होता है’ यह पंक्ति लेखक ने कंवर राघवेंद्र सिंह की कहानी के द्वारा बहुत अच्छे से दर्शायी हैI

    यदि आपको इतिहास पसंद है तो यह पुस्तक आपको और भी ज्यादा रोचक लगेगी, क्योंकि यहां पर लेखक ने काफी जगहों के इतिहास के बारे में भी जानकारी साझा की है।

    आशा करती हूं आपको भी यह पुस्तक पसंद आएगी I
    आप भी पढ़िए और अपने विचारों को साझा कीजिए।
    शुक्रिया!