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जिद’ पहला भाग पुस्तक में लेखिका अवंतिका सहाणे ने काल्पनिक कहानी एवं किरदारों से वास्तविक पारिवेशिक कल्पनाओं का लेखन किया है | एक ऐसी कहानी जो विपरीत परिस्थितियों में अपनी जिद से मंजिल पाने के रास्तों का बखान करती है | जिसमें कुदरत के प्रकोप के साथ पारिवारिक मुखोटों के पीछे छिपे उनके असली इंसानी चेहरों की पहचान होती है | एक लड़की जिसे अपनों से दूर कर वक़्त ने गैरों के बीच ला खड़ा कर दिया | अपनों से दूर होकर परायों के बीच वो बहुत बार गिरी और हर बार अपने मजबूत इरादों की वजह से हर दफा उठ खड़ी हुई | ऐसी परिस्थितियों में सिर्फ इंसान की जिद ही उसे आगे बढ़ने का हौसला देती है | वो लड़की भी पारिवारिक स्वार्थों के बीच अपने सपनों के जिद के सहारे आगे बढ़ी | पढाई, प्यार, करियर में भी वो अपने जिद की वजह से लड़ी | यहाँ जिद कहानी का पहला भाग है , जिसमें कहानी के पात्र की “अपनों के साथ” की जिद होती है, कहानी के अगले एवं अंतिम भाग में कहानी के पात्र की “सपनों को पाने” की जिद का लेखन है |
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